जैसलमेल (राजस्थान)
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देश और विदेशों से राजस्थान में आने वाला हर एक टूरिस्ट अपनी ट्रिप में जैसलमेर को शामिल करना कभी नहीं भूलता इसकी सबसे बड़ी वजह है गोल्डन सिटी के नाम से जाने जाने वाला जैसलमेर बाकी इंडियन प्लेसिस से बिल्कुल अलग है मसलन थार रेगिस्तान के बीच बसा होना पीले रंग के पत्थरों की इमारतें और ऊंची ऊंची रेत के टीलों पर ढेर ऊपर एक लाइन से चलते ऊंटों की कतारें जो टूरिस्ट के जहन में एक सुनहरी याद बनकर बस जाती हैं वक्त के थपेड़े खाने के बावजूद पिछले करीब 800 सालों के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए जैसलमेर के किले हवेलियां कला संस्कृति यहां पर होने वाला कठपुतलियों का डांस लोक संगीत और नृत्य बार-बार हमें जैसलमेर आने के लिए आमंत्रित करते हैं तो आइए अब इस शहर को एक्सप्लोर करते हैं और जानते हैं जैसलमेर की घूमने और देखने लायक कुछ खूबसूरत और ऐतिहासिक जगहों के बारे में सफ़र के शुरूआत करते हैं
जैसलमेर गोल्डन फोर्ट -- से एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट जो टूरिस्ट के बीच फेमस होने के
साथ-साथ जैसलमेर के बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट में से भी एक है बहुत ही ऐतिहासिक लड़ाईयों का गवाह रह चुका ये किला पीले बलुआ पत्थर से बना हुआ है और जब सूरज की रोशनी इस किले पर पड़ती है तो यह सोने जैसा चमकने लग जाता है जिस कारण से इसे सोनार किला या फिर गोल्डन फोर्ट भी कहते हैं साथ ही इस किले में मौजूद है 99 बुर्ज और चांदनी रात में इस किले की खूबसूरती जैसलमेर फोर्ट अट्रैक्शन में शामिल हैं इस किले का निर्माण राजपूत शासक राजा जैसल ने करवाया था यह किला अर्ली मॉर्निंग से शाम के 5:00 बजे तक टूरिस्ट के लिए खुला रहता है पीले रंग के पलुआ पत्थर से बनी हुई सात मंजिला हवेली जिसे पटवों की हवेली के नाम से जानते हैं सेट गुमान चंद्र ने अपने बेटों के लिए 1805 में इस हवेली का निर्माण शुरू कराया था इस हवेली के अंदर पांच और हवेलियां मौजूद हैं 10 फीट ऊंचे चबूतरे पर बने इस पूरे structure को बनाने में करीब 50 साल लग गए थे पांचों हवेलियां बारीक नक्काशी कलाकृति युक्त खिड़कियों और रेलिंग से अलंकृत है है साथ ही यह हवेली सोने की कलम की चित्रकारी हाथी दांत की सजावट सयन कच्छ में लगे रंग-बिरंगे चित्रों पशु पक्षियों की आकृतियों से सजी हुई हैं यहां इसके झरोखों में बैठकर पुरानी यादों
में खो जाने का जी चाहता है यकीन मानिए जैसलमेर हवेली आकर आप भी इसके मुरीद हो जाएंगे करीब 300 साल पुरानी हवेली सलीम सिंह की हवेली जो जैसलमेर रेलवे स्टेशन के नजदीक ही मौजूद है सलीम सिंह की हवेली का निर्माण 18 व़ी शताब्दी के आरंभ में हुआ था जिसके एक हिस्से में आज भी इसके वंसज रहते हैं यह हवेली जानी जाती है अपने diffrent and unique Architecture के लिए दरअसल 38 बालकनी वाले इस हवेली की छत बिल्कुल एक जैसी आकृति की दिखाई देती है शायद यही कारण है कि जैसलमेर की यह हवेली टूरिस्ट के अट्रैक्शन का कारण बनती है और इसकी फोटो क्लिक करना वह कभी नहीं भूलते
Gadisar Lake
गड़ेसर लेक--- जिसका निर्माण जैसलमेर के दक्षिण की ओर जैसलमेर के पहले राजा रावल जैसल द्वारा करवाया गया था हालांकि बाद में महारावल गेटसी ने इसे दोबारा से रिकंस्ट्रक्ट कराया इस झील के आसपास कई छोटे-छोटे मंदिर तीर्थ स्थल और बाहर देश से आने वाले कई प्रवासी पक्षी आपको यहां दिख जाएंगे साथ ही इस झील में करीब में ही आप पीले बलुआ पत्थर से बना नक्काशी दार एंट्रेंस गेट भी देख सकते हैं गड़ीसर लेक आज देश विदेशों से जैसलमेर आने वाले टूरिस्ट की फैशन बन चुका है इसका कारण है यह चारों फैली पहाड़ियां और सड़कों के संग संग चल रहे इस झील का पानी जो एक बड़ा ही खूबसूरत नज़ारा पेश करता है जैसलमेर से करीब 130 किलोमीटर दूर है
Tanot Mata Mandir
तनोट माता का मंदिर-- भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित देवी मां का यह मंदिर आज जैसलमेर और उसके आसपास के लोगों के बीच आस्था का केंद्र माना जाता है तनोट राय माता मंदिर में हर साल 2 बार नवरात्र का मेला लगता है 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान हुए एक चमत्कार के लिए भी यह मंदिर प्रचलित है दरअसल युद्ध में पाकिस्तान सेना की ओर से माता मंदिर के क्षेत्र में करीब तीन हजार बम गिराए गए थे लेकिन मंदिर की इमारत वैसी की वैसी रही और उसे कोई नुकसान नहीं हुआ यह सारे बम आज भी मंदिर परिसर में लोगों की देखने के लिए रखे हुए हैं भारतीय सेना और यहां के स्थानीय लोग इसे देवी मां का ही चमत्कार मानते हैं यहां भारतीय सैनिकों की वीरता की याद दिलाता एक विजय स्तंभ भी मौजूद है जिसका निर्माण भारत पाकिस्तान युद्ध याद में कराया गया था
Longewala Memorial
लोंगे वाला वॉर मेमोरियल--- हमारे बहादुर जवानों की वीरता शौर्य और पराक्रम की याद दिलाता लोंगे वाला वॉर मेमोरियल जिसे देखकर आप भी गौरवान्वित महसूस करेंगे 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान जब हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान के करीब दो हजार सैनिकों और 60 टैंकों को खदेड़ दिया था ये अपने आप में हिम्मत और बहादुरी की प्रेरणादायक मिसाल है उस जीत की यादगार बनाने के लिए लोंगेवाला वॉर मेमोरियल बनाया गया यहां पर आपको दीवारों पर लगे फोटोग्राफ्स नजर आएंगे साथ ही इस वॉर मेमोरियल में प्रदर्शित की गई हैं युद्ध में प्रयोग हुई बड़ी-बड़ी बैटल टैंक आर्मी जीप और यहां आप युद्ध में इस्तेमाल किए गए हथियारों को भी देख पाएंगे यह म्यूजियम्स सुबह 8:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक खुला रहता है जहां एंट्री के लिए आपको कोई फीस नहीं देनी पड़ती
Samsung Duos
सैमसंग डुओस--- यहां कैंप में स्टे करने के साथ साथ आप कैनल और जीप सफारी भी इंजॉय कर सकते हैं दिन में यहां आपको चारों तरफ सोने से चमकते रेत के ऊंचे ऊंचे टीले देखेंगे तो वही सनसेट का नजारा आप को अचरज में डाल देगा जहां यहां पर कैंप फायर कैम्पस ऑर्गेनाइज होते हैं और लोग फोक म्यूजिक और डांस के साथ यहां पर इंजॉय करते हैं अब आईये जैसलमेर तक कैसे पहुंचेंगे यह भी जान लेते हैं जैसलमेर से सबसे निकटतम एयरपोर्ट है जोधपुर एयरपोर्ट जो जैसलमेर से करीब 300 किलोमीटर दूर है दिल्ली जयपुर और जोधपुर जैसी कई सिटीज से जैसलमेर के लिए ट्रेन भी अवेलेबल है जिनमें लग्जरी ट्रेन पैलेस ऑन भी शामिल है बाय रोड आपके पास राजस्थान रोडवेज और प्राइवेट बस के ऑप्शन मौजूद हैं जो जैसलमेर को जोधपुर जयपुर बीकानेर माउंट आबू अहमदाबाद से जोड़ते हैं
हमें उम्मीद है की ये मेरा लिखा हुआ सफ़र आपको अच्छा लगा हो :)
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